डर मत .." मैं " बैठा हूॅ !!
हर हर महादेव !!
जीवन में कुछ करने से डरो मत.....
भगवान ने हमें जीवन में सभी समस्याओं से लड़ने के लिए महान शक्तियों के साथ बनाया है...और ये शक्तियां हमसे तब निकलती हैं जब हम उन पर विश्वास करते हैं...
“ तुलसी या संसार में, सबसे मिलिए धाय! न जाने किस रूप में, नारायण मिल जायें !! ”
" O' human ..meet everybody in the world with your full heart...you may never know ...
when " i " myself may meet you in this world as human !! "
इस कलयुग में सबसे शक्तिशाली भगवान...
" श्री हनुमान !! "...
हालाँकि भगवान एक है जिसकी भी आप पूजा करते हैं.. .लेकिन इस " कलयुग " में एक भगवान है, जिसके पास आज की दुनिया में सबसे अधिक व्यावहारिक शक्तियाँ हैं -
श्री हनुमान या बजरंग बली !!
हनुमान के पास अनिष्ट शक्तियों से लड़ने की रहस्यमय शक्तियां हैं।
" भूत पिशाच निकत नहीं आवे...महावीर जब नाम सुनावे"...
एक अकेली पंक्ति जो हमारे दिल से डर को निकाल सकती है जब हम खुद को अकेला या भयभीत पाते हैं !!..
हम में से अधिकांश नहीं चाहते कि " शनि " - ( परेशानी के देवता ) हमारे जीवन में प्रवेश करें ....
क्या आप जानते हैं " शनि " पर हनुमान जी का कर्ज है ?? .
..वह हनुमान की पूजा करने वाले लोगों से डरा या परेशान नहीं कर सकते !!
इसके पीछे बड़ी दिलचस्प कहानी है-
एक बार भगवान हनुमान अपनी आँखें बंद करके " राम " का नाम जप रहे थे।
" शनि", जो अहंकार में था कि वह किसी के मन को नियंत्रित कर सकता है और उसके जीवन पर अपना प्रभाव डाल सकता है,
हनुमानजी के पास आया और सोचा " मैं बहुत शक्तिशाली हूं, अगर मैं हनुमान के मन पर नियंत्रण करने में सक्षम हूं, तो मैं सर्वोच्च बन जाऊंगा" और हर कोई मुझसे डर जाएगा "...
यह सोचकर वह हनुमान जी के मस्तक में समा गया...
यह जानकर हनुमानजी ने अपनी आँखें खोलीं .. एक बड़े पहाड़ के पास चले गए और भारी पहाड़ को अपने सिर पर रख लिया।
" शनि " इस भारी पर्वत को सहन नहीं कर सका..वह रोया " " हनुमान जी कृपया इस पर्वत को अपने सिर से हटा दें....मैं अब इस भार को सहन नहीं कर सकता.."
अब हनुमान जी तो " हनुमान जी " थे...
उन्होंने एक और पहाड़ उठा लिया और दूसरे पहाड़ के ऊपर अपने सिर पर रख लिया...
" शनि" चिल्लाया " मुझे क्षमा करें बजरंगबली .. मैं समझ गया कि आप सर्वोच्च शक्ति हैं.. मुझसे बहुत अधिक शक्तिशाली हैं ... कृपया मुझे अपने सिर से बाहर आने दें ..."
बजरंगबली ने फिर से तीसरा पर्वत अब सिर के ऊपर रख लिया.....
अब " शनि" ने बड़ी पीड़ा में कहा... महाराज..मुझे माफ़ कर दो..तुम जो कहोगे मैं करूँगा..मुझे इस बोझ से बाहर आने दो !!"
हनुमान जी मुस्कुराए और शनिदेव से बोले.. " मैं तुम्हें तभी बाहर निकालूंगा जब तुम मुझसे वादा करोगे कि कलयुग में जो भी मेरी पूजा करेगा, तुम उसे जीवन में परेशान नहीं कर पाओगे..."
शनि ने कहा " मैं का वादा करता हूं पवनपुत्र ..मैं वादा करता हूं..कृपया मुझे मुक्त करें"...
यह सुनकर हनुमानजी ने अपने सिर से सभी पर्वतों को हटा दिया और शनि को अपने मस्तिष्क से बाहर निकाल दिया।
( समाप्त )
हनुमान जी की करें पूजा, कोई भी बुरी शक्ति आपको परेशान नहीं कर सकती !!...
" संकट कटे, मिटे सब पीरा जो सुमिरे हनुमत बलबीरा..संकट ते हनुमान छुडावे मन क्रम बचन ध्यान जो लवे..."
स्रोत - "श्री हनुमान चालीसा" और हमारी वैदिक पुस्तकें।