उत्पाती बंदर (The Jumping monkeys)
हाल ही में मुझे " नाव पर बंदर " (monkeys on the boat ) की एक दिलचस्प कहानी मिली...
एक बार एक शिक्षक और एक नेताजी कुछ बंदरों के साथ नाव में यात्रा कर रहे थे।
बंदर इधर-उधर उछलते-कूदते रहे और इस कारण नाव ऊपर-नीचे हिलती रही।
नेताजी बंदरों को शांत होने की हिदायत देते रहे लेकिन वे नहीं माने और कूदते रहे।
नदी के बीचों-बीच बंदरों ने नाव की चीजों को एक-दूसरे पर फेंकना शुरू कर दिया।
नेताजी समझ गए कि अगर बंदर कूदते रहे तो नाव डूब सकती है। इसलिए उन्होंने उन्हें कुछ मिठाई दी, लेकिन बंदर नाव में कूदते रहे। .
नेता ने तब शिक्षक से पूछा "आप बंदरों को शांत होकर बैठने के लिए क्यों नहीं कह रहे हैं ?? "
शिक्षक मुस्कुराए और बंदरों के पास आए।
फिर उन्होंने एक-एक बंदर को नदी में फेंकना शुरू कर दिया।
बंदर अब नदी में सांस लेने के लिए संघर्ष कर रहे थे, वे सभी वापस नाव में आ गए।
अब सारे बंदर नाव के कोने में चुपचाप बैठे थे !!
शिक्षक ने नेताजी से कहा, " देखो नेताजी , आपने कई बार बंदरों से अनुरोध किया और धमकी भी दी लेकिन उन्होंने आपकी बात नहीं मानी ,
लेकिन जब मैंने उन्हें नदी में फेंका तो वे जीवन के लिए संघर्ष कर रहे थे और इस छोटी सी नाव का महत्व समझ गए ।
अब यह छोटी सी नाव नदी में तैर रही है... और वे चुपचाप कोने में बैठे हैं।
क्या आपको कहानी समझ आई ????
नाव हमारा देश " भारत " है....
.....बंदर वो लोग हैं , जो देश में " रहते " हैं और लगातार इसकी आलोचना कर रहे हैं।
इन बंदरों को एक-दो साल के लिए चीन / पाकिस्तान और अन्य अरब देशों में फेंक देना चाहिए , ताकि जब ये भारत वापस आएं तो चुपचाप कोने में शांत होकर बैठ जाएं।
" मुफ्त में मिली आजादी पर ही आज आदमी इतना रहा है.... एक बार फिर से गुलाम होके देखो , इसकी कीमत समझ में आ जाएगी...
जय हिन्द !!
@ Anonymous story edited by - kapil verma
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